नई दिल्ली: महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा देश में सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन सभी विवाह को हिंसक बता देना और हर पुरुष को बलात्कारी कहना सही नहीं है। बुधवार को राज्यसभा में केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा है। उनका यह जवाब सीपीआई नेता बिनॉय विस्वम की ओर से मैरिटल रेप पर पूछे गए पूरक प्रश्न के उत्तर के तौर पर आया है। उन्होंने सरकार से सवाल पूछा था कि क्या उसने घरेलू हिंसा कानून के सेक्शन 3 और रेप पर आईपीसी की धारा 375 को संज्ञान में लिया है। इसी पर ईरानी ने यह जवाब दिया है।
सीपीआई सांसद के प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा है, ‘मेरा कहना है कि इस सम्मानित सदन में देश की हर शादी को हिंसक शादी मानकर उसकी निंदा करना और इस देश के हर आदमी को बलात्कारी मानकर निंदा करना उचित नहीं है।’ उन्होंने कहा कि वरिष्ठ सदस्य को राज्यसभा के नियम 47 की जानकारी है, जो मौजूदा विचाराधीन विषय के विस्तार में जाने की अनुमति नहीं देता। उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश राज्य सरकारों के साथ तालमेल से इस देश में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना है। इस समय पूरे देश में 30 से ज्यादा हेल्पलाइन कार्यरत हैं, जिसने 66 लाख से ज्यादा महिलाओं को सहायता पहुंचाई है। इसके अलावा देश में 703 ‘वन स्टॉप सेंटर’ भी चल रहे हैं, जहां से 5 लाख से अधिक महिलाओं को सहायता मिली है।
वो बोलीं, ‘हमारे देश में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सभी के लिए प्राथमिकता है, लेकिन फिर भी मैं यह कहना चाहूंगी कि देश की हर शादी को हिंसक मानकर निंदा करना सही नहीं है।’ इसपर सीपीआई सांसद ने कहा कि उनका यह कतई मतलब नहीं था कि हर पुरुष एक बलात्कारी है और लगे हाथ उन्होंने दूसरा प्रश्न दाग दिया कि क्या सरकार इस मामले में आंकड़े जुटाकर जल्द से जल्द संसद में पेश कर सकती है। इसपर मंत्री ने कहा कि सदस्य चाहते हैं कि केंद्र राज्यों से बात करे और उनसे रिकॉर्ड मांगे। लेकिन, केंद्र आज इस सदन में राज्य सरकारों की ओर से कोई अनुशंसा नहीं कर सकता।
भाजपा सांसद सुशील मोदी ने पूछा कि क्या सरकार वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में रखने के पक्ष में है या इस आधार पर छूट देने के पक्ष में है कि इसके अपराधीकरण से विवाह संस्था ही समाप्त हो जाएगी। इसपर मंत्री ने जवाब दिया कि यह मामला अदालत के विचाराधीन है और वह इसपर ज्यादा कुछ नहीं कह सकतीं। उधर डीएमके सांसद एम मोहम्मद अब्दुल्ला ने पूछा कि क्या सरकार घरेलू हिंसा को लेकर स्कूल और कॉलेज स्तर पर जागरूकता पैदा करने के लिए कोई कदम उठा रही है। महिला और बाल विकास मंत्री ने कहा कि सरकार वित्तीय सहायता से ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम चला रही है और इसके जरिए सुनिश्चित किया जा रहा है कि खासकर युवा लड़कियां अपने संवैधानिक अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक बनें।
बता दें कि वैवाहिक बलात्कार मामला इस समय दिल्ली हाई कोर्ट में है। इस मामले में उसके पास आईपीसी के तहत पतियों को बलात्कार के अपराध के मामले में मिली छूट को खत्म करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं ने आईपीसी की धारा 375 की संवैधानिकता पर सवाल उठाया है कि इसमें विवाहित महिलाओं के पतियों की ओर से हुई यौन हिंसा पर उन्हें छूट देकर भेदभाव किया गया है।