महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में छात्रों का विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ आंदोलन लगातार उग्र रूप लेता जा रहा है। सोमवार को अनिश्चितकालीन धरने के 28वें दिन और भूख हड़ताल के पांचवें दिन छात्रों ने हाथों में हथकड़ी पहनकर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान प्रशासन विरोधी नारे भी लगाए गए।

छात्रों ने विश्वविद्यालय को न केवल छात्र विरोधी बल्कि संविधान विरोधी तक करार दिया। छात्रों का आरोप है कि 28 दिनों से लगातार आंदोलन जारी रहने के बावजूद कुलपति ने अभी तक कोई सकारात्मक वार्ता नहीं की है। तपती गर्मी और भूख हड़ताल के कारण धरने में शामिल छात्र करण प्रजापति की तबीयत बिगड़ गई और वह मंच पर ही अचेत होकर गिर पड़ा। सूचना मिलते ही चीफ प्रॉक्टर मौके पर पहुंचे और करण को विश्वविद्यालय स्थित सामुदायिक केंद्र में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज जारी है।

शिक्षा पर ‘हथकड़ी’ लगाने का आरोप

धरना स्थल पर अध्यक्ष पद के प्रत्याशी एवं छात्र नेता शिवम यादव भक्ति ने कहा, “आज हमने हाथों में हथकड़ी पहनकर विरोध दर्ज कराया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने जिस तरह से शिक्षा पर पाबंदी लगाई है, यह उसी का प्रतीक है। हम यह संदेश देना चाहते हैं कि यह नीतियां छात्रों को बंधन में डाल रही हैं।”

शिवम ने बताया कि छात्रों की ओर से दो वरिष्ठ प्रतिनिधि प्रशासन से वार्ता के लिए भेजे गए थे जहां डीसीपी, एसीपी एवं कुलसचिव उपस्थित थे, लेकिन कुलपति महोदय वहां भी मौजूद नहीं थे। “एक ओर हमें छात्र विरोधी कहा जाता है, दूसरी ओर कुलपति छात्रों से मिलने तक को तैयार नहीं हैं,” शिवम ने कहा।

संविधान के अनुच्छेद 29(2) का उल्लंघन?

छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जारी एक पत्र में स्केलिंग मैथड के अंतर्गत कहा गया है कि यदि दो छात्रों का अंक प्रतिशत समान हो तो उम्र के आधार पर वरीयता दी जाएगी। शिवम यादव ने इसे संविधान के अनुच्छेद 29(2) का स्पष्ट उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा, “काशी विद्यापीठ अब केवल छात्र विरोधी नहीं, बल्कि संविधान विरोधी भी हो चुका है।”

छात्रों की प्रमुख मांगों में पारदर्शी छात्रसंघ चुनाव प्रक्रिया, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, और प्रशासनिक जवाबदेही की स्थापना शामिल है। धरना स्थल पर छात्र बड़ी संख्या में एकत्र हैं और उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, आंदोलन जारी रहेगा।

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