भारतीय अवाम पार्टी के सुभाषवादी नेताओं ने स्वामी प्रसाद के खिलाफ खोला मोर्चा

वाराणसी। दुनियां को शांति, त्याग और रामराज्य का पाठ पढ़ाने वाले पवित्रतम धर्म ग्रंथ श्रीराम चरित मानस पर टिप्पणी करने और जलाए जाने को लेकर भारतीय अवाम पार्टी के सुभाषवादी कार्यकर्त्ताओं में गहरी नाराजगी है। पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष दीदी नजमा परवीन के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्त्ताओं ने लमही के मुंशी प्रेमचंद स्मृति द्वार पर प्रदर्शन किया। श्रीराम चरित मानस को सर पर रखकर सर्वोच्च सम्मान दिया। हाथों में मुस्लिम महिलाओं ने तख्तियां लेकर संदेश दिया कि किसी धर्म का अपमान अब नहीं बर्दाश्त किया जाएगा। तख्तियों पर लिखा था- स्वामी तुझसे बैर सही, तेरी अब खैर नहीं। स्वामी प्रसाद के महापाप को कभी माफी नहीं। स्वामी और उसके चमचों को जेल भेजो। स्वामी प्रसाद के पूरे खानदान के संपत्ति की जांच हो। स्वामी जिस दल में है उस दल पर प्रतिबंध लगे। जैसे नारों के साथ प्रदर्शन कर रही महिलाएं काफी गुस्से में थी। स्वामी प्रसाद का बहिष्कार हो के नारे के साथ अधर्मियों का पुतला फूंका गया। नारा गूंज रहा था- जो राम के साथ नहीं, उसे रहने का अधिकार नहीं।

भारतीय अवाम पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष दीदी नजमा परवीन ने कहा कि भारत में जब किसी का नया मकान बनता है तो मानस का अखण्ड पाठ करवाकर गृह प्रवेश करता है। श्रीराम चरित मानस दुनियां का पवित्रतम धर्म ग्रंथ है, यह सिर्फ सनातन धर्म के लिए ही नहीं, बल्कि विश्व के प्रत्येक नागरिकों के लिए उपयोगी है। घर परिवार से लेकर देश चलाने तक कि शिक्षा इस ग्रंथ से मिलती है। मानस पर टिप्पणी करने वाला स्वामी प्रसाद अधर्मी और पापी है। उसके पापों की सजा ईश्वर अवश्य उसे देगा। आज स्वामी प्रसाद को जेल भेजकर संपत्ति जब्त नहीं की गई तो कल सारे धर्म ग्रंथों पर सवाल खड़ा करने वाले पापियों की बाढ़ आ जायेगी। देश दंगे की आग में झुलस जाएगा। स्वामी को नारी की बड़ी चिंता है, जिस दल ने बहन मायावती का घोर अपमान किया था और मारने की साजिश की थी ये तो उसी की गोद में बैठा है। अखिलेश यादव ने स्वामी के खिलाफ कार्यवाई करने के बजाय उसका प्रमोशन कर भारत के लोगों को यह संदेश दे दिया कि जो भारतीय धर्म ग्रंथों का अपमान करेगा, उसे पुरस्कार मिलेगा। मुसलमानों से अपील है कि स्वामी प्रसाद का बहिष्कार करें अन्यथा धर्म ग्रंथ के अपमान की आग उनके घरों तक भी पहुंच जाएगी। योगी जी तत्काल इस मामले पर सख्त कार्यवाई करें।

पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं दलित चिंतक ज्ञान प्रकाश ने कहा कि श्रीराम चरित मानस की वजह से दलितों को सम्मान मिलता है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने भी भगवान श्रीराम के पथ का अनुशरण कर देश को आजादी दिलाई। स्वामी प्रसाद ने श्रीराम चरित मानस का नहीं दलित समाज का अपमान किया है। भगवान वाल्मीकि ने भगवान श्रीराम के चरित्र को संस्कृत में लिखा, उसी चरित्र और इतिहास को तुलसी दास ने अवधी में लिखकर घर-घर पहुंचाया। कौन ऐसा है जो हनुमान चालीसा न जपता हो। स्वामी प्रसाद एक नाटकीय अधर्मी और छल करने वाला मारीच है जो समय पर अपने फायदे के लिए अपना चोला बदलता है। स्वामी प्रसाद को नारी और दलित की चिंता होती तो यह न बहन मायावती का साथ छोड़ता और न ही उनका अपमान करने वाली पार्टी में महासचिव बनता। इसके पाप इसे कहीं का नहीं छोड़ेंगे। दलित समाज के लोग स्वामी प्रसाद और उसके दल का घर-घर बहिष्कार करेंगे। दलित समाज बहुत आहत है। जो भगवान श्रीराम के विरुद्ध होगा उसका पूर्णतः बहिष्कार किया जाएगा।

मुस्लिम महिलाओं की नेता नाजनीन अंसारी ने कहा कि जिसने श्रीराम चरित मानस को पढा नहीं वह अशोभनीय टिप्पणी कर रहा है। विदेश से पैसा मिला होगा तभी ये देश में हिंसा और नफरत फैलाने की साजिश कर रहा है। भगवान श्रीराम सिर्फ भारतीय भूखंड के नहीं बल्कि अखण्ड ब्रह्माण्ड के नायक हैं। उनका नाम ही काफी है भवसागर पार लगाने के लिए। राम सबके पूर्वज हैं, धर्म बदलने से पूर्वज नहीं बदलते। स्वामी प्रसाद के बयान को सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान में लेकर इसको दंडित करे।

पार्टी के पूर्वी उ०प्र० के अध्यक्ष ओम प्रकाश पाण्डेय ने कहा कि श्रीराम चरित मानस हमारा पवित्र धर्म ग्रंथ है। इसके खिलाफ टिप्पणी करने वालों से समाज के लोग अंतिम दिन तक लड़ेंगे।

प्रदर्शन में सूरज चौधरी, अनिल पाण्डेय, ओ०पी० सिंह, पीयूष पाण्डेय, नितीश सिंह, ओ०पी० चौधरी, राजेश कन्नौजिया, मनीष मिश्रा, योगेन्द्र कुमार, कन्हैया पाण्डेय, प्रमन द्विवेदी, संदीप पाण्डेय, राजकुमार, अफरोज खान, विजय कुमार पाण्डेय, अखिलेश सिंह, सूर्य प्रताप सिंह, अभ्युदय, गीता देवी, नाजिया, सीमा, कलावती, शीला, दक्षिता भारतवंशी, खुशी भारतवंशी, शिखा भारतवंशी आदि लोग शामिल हुए।

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