दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं अभिलेख प्रदर्शनी का हुआ शुभारंभ

वाराणसी। राजकीय महिला महाविद्यालय डीएलडब्लू वाराणसी में संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश, उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश, जिला प्रशासन वाराणसी एवं इतिहास विभाग राजकीय महिला महाविद्यालय डीएलडब्लू वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ” *भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन: समाज संस्कृति और साहित्य के संदर्भ* ” का शुभारंभ हुआ। इस समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रोफेसर अवधेश प्रधान काशी हिंदू विश्वविद्यालय जी द्वारा हुआ। साथ ही सारस्वत अतिथि के रूप में इतिहास विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर प्रवेश भारद्वाज जी ने संगोष्ठी की गरिमा बढ़ाई। साथ ही महाविद्यालय प्रांगण में संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के सौजन्य से स्वतंत्रता आंदोलन पर आधारित मौलिक दस्तावेजों की एक प्रदर्शनी क्षेत्रीय अभिलेखागार के डाॅ. हरेन्द्र नारायण सिंह एवं उनकी टीम के द्वारा आयोजित की गई।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों का स्वागत  क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र वाराणसी के प्रभारी डॉ सुभाष चंद्र यादव एवं महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राज किशोर जी ने किया। डॉ सुभाष चंद्र यादव ने दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं अभिलेख प्रदर्शनी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहां की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के दृष्टिगत महाविद्यालयों एवं दूर के क्षेत्रों में इस प्रकार के संगोष्ठी एवं प्रदर्शनी से छात्र-छात्राओं , शोध- छात्रों एवं प्राध्यापकों को नए विचार एवं शोध के नए आयाम सहज उपलब्ध हो जाते हैं। साथ ही देश में किस प्रकार स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सर्वस्व बलिदान किया ,इस विषय से भी नई पीढ़ी अवगत होती है।
मुख्य अतिथि ने स्वतंत्रता आंदोलन में आमजन की भूमिका को रेखांकित किया और बताया कि किस प्रकार से हर समाज के व्यक्ति ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी सहभागिता दी है एवं अपना सहयोग दिया है । स्वतंत्रता सेनानियों तथा आमजन के लंबे संघर्ष के पश्चात भारत एक स्वतंत्र देश घोषित हुआ जिसने लोकतांत्रिक मूल्यों को सहेज कर रखा ।जबकि दुनिया के अन्य देशों में इस प्रकार के मूल्य खतरे में पड़े हुए हैं।


सारस्वत अतिथि के रुप में उपस्थित इतिहास विभाग के  डॉक्टर प्रवेश भारद्वाज ने संगोष्ठी में उपस्थित समस्त विद्वानों, स्कॉलर एवं शोध छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि किस प्रकार से स्वतंत्रता के मूल्य भारत में प्राचीन काल से रहे हैं ।उन्होंने यवनों,  पहलवों के समय चंद्रगुप्त मौर्य के विशेष संदर्भ में बताया कि स्वतंत्रता के मूल्य उस समय से भारतीयों में रहे हैं और जब देश अंग्रेजों द्वारा पराधीन किया गया तब प्राचीन कालखंड के स्वतंत्रता के उन मूल्यों ने उस समय की पुस्तकों ने और उन विचारों ने वर्तमान समय के स्वतंत्रता आंदोलन को पुनः प्रज्वलित किया।
भोजन अवकाश के बाद तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता करते हुए इतिहास विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय की पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर विंदा परांजपे एवं प्रोफेसर घनश्याम ने अपने संबोधन में स्वतंत्रता के संघर्ष में देश और देश के बाहर जिन संस्थाओं एवं स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सर्वस्व बलिदान किया, उस विषय पर उन्होंने विस्तार से व्याख्यान प्रस्तुत किया। तकनीकी सत्रों में विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर पूनम पांडेय ,वसंत कन्या महाविद्यालय वाराणसी एवं प्रोफेसर जय लक्ष्मी कौल , इतिहास विभाग ,काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी ने अपने सारगर्भित अतिथि व्याख्यान से शोधार्थियों , प्रतिभागियों एवं छात्र छात्राओं को लाभान्वित किया। इन तकनीकी सत्रों में प्रदेश व देश के अनेक विश्वविद्यालयों से पधारे हुए इतिहासकारों, शोध छात्र-छात्राओं एवं अध्यापकों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सामाजिक सांस्कृतिक एवं साहित्यिक परिप्रेक्ष्य् में गंभीर एवं शोध परक शोध पत्रों का वाचन किया। साथ ही महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ एवं संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय एवं अन्य विश्वविद्यालयों से आए हुए प्रतिभागियों ने अपना शोध पत्र अलग-अलग तकनीकी सत्रों में प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ कमलेश कुमार तिवारी ने उपस्थित सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया । कार्यक्रम का संचालन संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ रचना शर्मा ने किया । महाविद्यालय में उपस्थित समस्त प्राध्यापक एवं अन्य महाविद्यालय से आए हुए छात्र छात्राएं उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षकों में प्रोफेसर  राजकिशोर,  प्राचार्य, राजकीय महिला महाविद्यालय डीएलडब्लू वाराणसी, डाॅ उमा श्रीवास्तव ,डाॅ रजनीश त्रिपाठी, डाॅ साधना अग्रवाल, डाॅ. आनंद कुमार त्रिपाठी, प्रदीप ,पंच बहादुर, श्री निरंजन पांडे, श्रीमती सरोज, श्री अरविंद त्रिपाठी, श्री प्रबोध दुर्गा ,शरद,  सहित अनेक आगंतुक उपस्थित रहे।

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