वाराणसी। संतान की रक्षा के लिए भगवान सूर्य की उपासना का पर्व छठ गंगा की गोद में उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही पूर्ण हुआ। छ्ठ को महापर्व इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि सूर्य ही एकमात्र प्रत्यक्ष देवता हैं, और छठ पूजा का वर्णन पुराणों में भी मिलता है, जिसमें उदयमान सूर्य के साथ-साथ अस्ताचलगामी सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है।
सप्तमी को प्रातः पुनः षष्ठी की संध्या की ही तरह ही पूर्व वत गंगा के घाटों, वरुणा , सूर्य सरोवर बीएलडब्लू और तलाबों, कुंडों के किनारे रात भर खड़े होकर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती महिलाओं ने अपने व्रत अनुष्ठान को पूर्ण किया
इस कामना के साथ की भगवान् भास्कर और छठी मैया उनके घर आँगन को एक अलौकिक रौशनी और ख़ुशी से भर देंगे ।
इस दौरान सभी घाटों पर वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किये गए थे।
इस दौरान लोगों ने जमकर आतिशबाज़ी भी की।