शिदीस्वा संवर्द्धन गुरुकुल” ने संस्थापक की मूर्ति का अनावरण कर 20वां वार्षिक समारोह मनाया

बलिया: शिदीस्वा संवर्द्धन गुरूकुल ने अपने 20 वें वार्षिक दिवस को पूरे उत्साह और खुशी के साथ मनाया। यह वर्ष स्कूल और बलिया के नागरिकों दोनों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस शुभ अवसर पर संस्थान के संस्थापक, पारस नाथ सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया गया। स्वर्गीय पारस नाथ सिंह का दूरदर्शी नेतृत्व, दृढ़ समर्पण और दूरदर्शिता स्कूल की सम्मानित विरासत की आधारशिला रही है, जो शहर के युवाओं को शिक्षा और व्यक्तिगत विकास के लिए एक उचित मंच प्रदान करती है।
‘बागी बलिया’ हमारे स्वतंत्रता संघर्ष में महत्वपूर्ण योगदान का एक समृद्ध इतिहास समेटे हुए है। यह शहर भारत के कुछ प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानियों का घर रहा है। कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि, मेजर मनोहर दियाली, एक सराहनीय सैन्य पृष्ठभूमि वाले प्रतिष्ठित व्यक्ति के शामिल होने से समारोह में देशभक्ति की भावना का वातावरण बन गया। मेजर दियाली ने शिदीस्वा संवर्द्धन गुरूकुल ट्रस्ट की अध्यक्षा गीता सिंह के साथ स्वर्गीय पारस नाथ सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया, जो उनके प्रति सम्मान को दर्शाता है, जिनके मूल्यों ने शिदीस्वा संवर्द्धन गुरूकुल को यह रूप प्रदान किया है।
निर्मल सिंह, बलिया में शिदीस्वा संवर्द्धन गुरुकुल ट्रस्ट के अध्यक्ष और पारस नाथ सिंह के बड़े पुत्र, ने ‘श्री पारस मेमोरियल लाइब्रेरी और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सेंटर’ का उद्घाटन करके इस अवसर को और भी यादगार बना दिया। उद्घाटन के दौरान निर्मल सिंह ने कहा, “लाइब्रेरी और हाई-स्पीड वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सेंटर छात्र समुदाय के सभी सदस्यों के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे का प्रतिनिधित्व करता है। हाई-स्पीड वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सेंटर न केवल छात्रों और कर्मचारियों के लिए खुला है, बल्कि व्यापक ग्राम समुदाय तक इसकी पहुंच को बढ़ाता है, सीखने के अवसरों को बढ़ावा देता है और वैश्विक बातचीत की सुविधा प्रदान करता है।” साथ ही उन्होनें यह भी कहा कि, “मेरे पिता ने शैक्षिक भावना के बीज लगाए और सीखने का जोश लोगों के अन्दर भरा है। अब देश की शैक्षिक प्रगति को देखते हुए आधुनिक शिक्षण विधियों को लागू करना मेरी जिम्मेदारी है। मुझे विश्वास है कि मेरे पिता ने अब तक प्रौद्योगिकी-समर्थित शिक्षा को अपना लिया होता। यह उनकी कड़ी मेहनत और विरासत को आगे बढ़ाने, स्कूल और शहर की उन्नति में योगदान देने का हमारा समर्पित प्रयास है।”
बलिया में शिदीस्वा संवर्द्धन गुरूकुल ट्रस्ट के ट्रस्टी और श्री पारस नाथ सिंह के छोटे बेटे उज्जवल सिंह ने इस अवसर के दौरान अपनी भावनाएं व्यक्त कीं और कहा की, “ वार्षिक दिवस शिक्षा, विकास और उत्कृष्टता के लिए शिदीस्वा संवर्द्धन गुरूकुल की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह स्कूल मेरे पिता द्वारा शुरू की गई गुरुकुल शिक्षा की समृद्ध विरासत के रूप में खड़ा है, जो कि वंचितों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के मिशन को पूरा कर रहा है। इस स्कूल की विचारधारा “लर्न – अनलर्न एंड रीलर्न” की अवधारणा पर कार्य करती है, जो निरंतर विकास के लिए सतत प्रयासो को बढ़ावा देती है। मेरा वर्तमान उद्देश्य विकास और उत्कृष्टता की विरासत को बनाए रखना है, जो मेरे शहर और उसके युवाओं की बेहतरी के लिए समर्पित है। इस प्रतिबद्धता के साथ, आज मेरे पिता की प्रतिमा का अनावरण सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं है, बल्कि वंचितों के लिए शिक्षा की लौ की तरह एक स्थायी अनुस्मारक के रूप में स्कूल और बलिया के लिए उनकी आकांक्षाओं को याद दिलाने का प्रतिक है।”
इस मार्मिक क्षण में, गीता सिंह ने स्कूली बच्चों और उनके माता-पिता को संबोधित करते हुए कहा, “मेरे दिवंगत पति की स्थायी विरासत में, उनकी प्रतिमा ज्ञान और करुणा के प्रतीक के रूप में शिदीस्वा संवर्द्धन गुरूकुल में आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। आइए हम सब मिलकर अपने गुरुकुल उद्देश्य शिक्षा, दीक्षा और स्वास्थ्य का पालन करते हुए एक उज्जवल कल के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना और सही राह दिखाना जारी रखें।”
वार्षिक दिवस समारोह में मेजर मनोहर दियाली, सम्मानित अतिथि के रूप में कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और समग्र विकास के प्रति समर्पण के लिए मैं शिदीस्वा संवर्द्धन गुरूकुल की सराहना करता हूं, साथ ही मैं व्यक्तिगत और सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में नेतृत्व और अनुशासन के महत्व पर जोर देता हूं।” छात्रों से उन्होनें कहा, “मैं आपको शैक्षणिक गतिविधियों से आगे फ्लेक्सिबिलिटी, दृढ़ता और समर्पण को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता हूं। मेरी शुभकामनाएं छात्रों, शिक्षकों और पूरे गुरुकुल समुदाय के साथ हैं। संस्थापक स्वर्गीय श्री पारस नाथ सिंह एक ऐसी संस्था बनाने के लिए प्रशंसा के पात्र हैं जो न केवल ज्ञान प्रदान करती है बल्कि साहस और प्रतिबद्धता के मूल्यों को भी स्थापित करती है।”
वार्षिक दिवस वो विशेष दिन है जिसका हर किसी को इंतजार रहता है। छात्र, शिक्षक, अभिभावक और माननीय अतिथि सांस्कृतिक प्रदर्शन के साथ जश्न मनाने, शैक्षणिक उपलब्धियों को पहचानने और संस्थापक को हार्दिक श्रद्धांजलि देने के लिए सभी को एक साथ लेकर आता है और स्थायी यादें बनाता है जो न केवल स्कूल की सफलता को दर्शाती हैं, बल्कि स्वर्गीय पारस नाथ सिंह के सम्मान और श्रद्धांजलि का भी प्रतिक है। यह आयोजन बलिया की आजादी की लड़ाई से जुड़ा है, जो हमारे इतिहास और प्रगति की साझा यात्रा से एक मजबूत संबंध दर्शाता है।
शिदीस्वा संवर्द्धन गुरूकुलके बारे में:
ड्रीम प्रोजेक्ट शिदीस्वा संवर्द्धन गुरूकुल(S.S.G.) की स्थापना 2004 में हुई थी। ‘शिदीस्वा’ शब्द तीन शब्दों के संयोजन से बना है – शिक्षा, दीक्षा और स्वास्थ्य। यह नाम संस्थान के उद्देश्य को दर्शाता है, साथ ही इससे स्कूल द्वारा अपने छात्रों को हर तरह से मदद करने और उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करने की भावना प्रदर्शित होती है।
संस्थान के लिए शुरूआती दिन मुश्किलों से घिरे हुए और काफी चुनौतीपूर्ण थे, हालांकि, संस्थापक, पारस नाथ सिंह की सकारात्मक दृष्टिकोण, नियमों और मानकों से समझौता न करने के निर्णय के कारण शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए उच्च बार निर्धारित करते है। दृढ़ता और कड़ी मेहनत के माध्यम से, स्कूल ने एक उल्लेखनीय परिवर्तन किया, जिसकी वजह से स्कूल अब डिजिटल प्रौद्योगिकियों से युक्त एक आधुनिक संस्थान बन गया है। इसके अलावा अब 500 से अधिक छात्रों को समायोजित कर रहा है। इन वर्षों में, एस.एस.जी. अंग्रेजी में बातचीत और गणित, दोनों विषयों में छात्रों का ज्ञानवर्धन करने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है, जो कक्षा 10वीं और 12 वीं के छात्रों को अच्छे और उज्जवल भविष्य की तरफ लेकर जाता है।

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