RTE से एडमिशन को लेकर व्याप्त विसंगतियों के विरोध में अभिवावकों ने बेसिक शिक्षा कार्यालय पर किया प्रदर्शन

वाराणसी। वाराणसी -शिक्षा के अधिकार की धारा 12- 1-सी के तहत 25 प्रतिशत बच्चों के निजी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा के लिए प्रवेश प्रक्रिया में हों रही अनियमितता के सम्बन्ध में सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं अभिभावक गणों द्वारा ज़िला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर सोमवार को धरना प्रदर्शन किया गया।

अभिभावकों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया की शिक्षा के अधिकार की धारा 12 -1c के तहत 25% बच्चों के निजी स्कूल में निशुल्क शिक्षा के लिए प्रवेश प्रक्रिया जारी है। जिसमें काफी अनियमितताएं आ रही है। इस प्रक्रिया के तहत विगत वर्षों में प्रवेश पाकर अध्ययनरत बच्चों के समक्ष काफी दिक्कतें आ रही हैं। इसी प्रकार आगामी सत्र में ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया के दौरान अभिभावकों के समक्ष अनेक अनियमितताएं अथवा परेशानियां आ रही हैं। उक्त संबंध में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं अभिभावक गणों द्वारा ज्ञापन के माध्यम से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी वाराणसी को अवगत कराया गया है। एवं विनम्र निवेदन किया हैं।

अभिभावकों ने 9 मांगें की है –

1- ऑनलाइन आवेदन के लिए उपलब्ध विद्यालयों की सूची में काफी अनियमितताएं हैं। अनेक नामचीन विद्यालयों में बच्चों की संख्या विगत वर्षों की तुलना में काफी कम दर्शाई गई हैं।

2- विद्यालयों की सूची में अनेक विद्यालयों का ग्राम और वार्ड गलत दर्शाया गया है। जिसमें अभिभावकों को असुविधा हो रही है।

3 -अनेक विद्यालयों के नाम सूची में प्रदर्शित ही नहीं हो रहा है।

4- आवेदन करते समय प्रक्रिया बीच में रुक जाने पर अथवा किसी त्रुटि होने पर दूसरा फॉर्म भरना हो तो वेबसाइट इसे स्वीकार नहीं कर रही है। इस कारण अनेक अभिभावक आवेदन नहीं कर पा रहे हैं।

5- आवेदन करते समय अनेक विद्यालयों का नाम पोर्टल पर दिखाई ही नहीं दे रहा है।

6 – धारा 12 -1 सी के तहत पहले से पढ़ रहे छात्रों का विगत वर्ष की प्रतिपूर्ति के बकाए का भुगतान विद्यालयों को नहीं हो सका है। जिस कारण कुछ विद्यालयों द्वारा अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है। विगत वर्षों में चयनित छात्रों को रुपय 5000 की प्रतिपूर्ति का भुगतान भी नहीं हुआ है।

7- विगत वर्षों में प्रवेश देने वाले अनेक विद्यालय इस सत्र में बंद हो गए हैं अथवा किसी अन्य विद्यालयों में संयोजित कर दिए गए हैं ।ऐसे में धारा 12- 1-c के तहत पूर्व से पढ़ते आ रहे बच्चों का भविष्य अंधकार में हो गया है। इनके शिक्षण की वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए।

8 – अपने को अल्पसंख्यक स्कूल की श्रेणी में लाकर शिक्षा के अधिकार कानून के दायरे से बाहर होने की मंशा रखने वाले स्कूलों की विशेष जांच की जानी चाहिए। कि किन परिस्थितियों में उन्हें अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा प्राप्त हुआ है।

9 – विगत सत्र में चयनित अनेक बच्चों का प्रवेश निजी स्कूलों द्वारा नहीं लिया गया। ना ही उन पर कोई दंडात्मक कार्यवाही हो सकी है।

वहीं इस मौके पर पहुंचे बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह ने बताया कि हैप्पी मॉडल सरीखे कई स्कूलों ने अपने RTE की शाखाएं बंद कर दी है जिसमे लगभग 500 बच्चे इस व्यवस्था के तहत पढ़ रहे थे। हमने इस सम्बन्ध में शासन को लेटर भेजा है, जैसे ही लेटर आएगा हम बच्चों के स्थानानतरण की प्रक्रिया शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि 84 करोड़ रुपये करीब इन विद्यालयों का बकाया है उसके लिए भी डीएम साहब और शासन को अवगत करवा दिया गया है। 84 करोड़ में से 55 और दोबारा 7 लाख रुपया आया था जो कीनाकाफी है। 42 करोड़ कालेज प्रबन्धन और 42 करोड़ के करीब अभिभावकों का बाकी है जिसके लिए प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने साफ किया कि कोई भी विद्यालय आरटीई के तहत एडमिशन लेने से मना नहीं कर सकता इसपर जब लोगों ने गुरुनानक खालसा विद्यालय पर आरोप लगाया तो उन्होंने दिखवाने की बात कही और कहा कि सभी विद्यालय के प्रबन्धकों को व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से यह बता दिया गया है कि एम्डीशन लेने से वो मना नहीं कर सकते ,

इस दौरान ज्ञापन सौंपने वालों में अंजु, गुफरान जावेद, प्रदीप सिंह, चन्दन शर्मा, रमेश प्रसाद, कैलाश, विनय सिंह, अमित शर्मा, विनय कुमार, राजू यादव, वल्लभाचार्य पांडे व विष्णु के साथ साथ अन्य अभिभावक गण व सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे।

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