हम सब मिलकर लड़ेंगे और 2027 तक देश को कुष्ठ मुक्त बनाएँगे – डीजी डॉ अतुल गोयल

यूपी में कुष्ठ उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना की कार्यान्वयन बैठक सम्पन्न

तीन दिवसीय कार्यक्रम व क्षेत्रीय भ्रमण में कुष्ठ उन्मूलन पर हुआ गहन मंथन

सामूहिक प्रयास से होगी कुष्ठ रोग के जीरो ट्रांसमिशन और लक्ष्य की प्राप्ति

वाराणसी: देश को वर्ष 2027 तक कुष्ठ मुक्त बनाने के लिए इससे मिलकर लड़ना होगा। जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार ने कोविड को पूरी तरह से परास्त किया है उसी तरह कुष्ठ रोग को भी लक्षित समय तक उन्मूलन कर लेंगे। जागरूकता के अभाव के कारण समाज में कुष्ठ रोग के प्रति कलंक और भेदभाव के चलते इसके फैलाव एवं उपचार के प्रति गलतफहमी बढ़ रही है। इसकी वजह से सामाजिक जीवन, प्रतिष्ठा, रोजगार, वैवाहिक व पारिवारिक जीवन प्रभावित होता है। इसी के मद्देनजर यूपी सहित पूरे देश में राष्ट्रीय स्तरीय रणनीति बनाई जा रही है जिससे जागरूकता के साथ जांच, निदान, उपचार, दिव्यांग्ता और ज़ीरो ट्रांसमिशन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। यह कहना है स्वास्थ्य महानिदेशक व राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र निदेशक डॉ अतुल गोयल का ।
वह शनिवार को आईएमए सभागार में आयोजित ‘यूपी में कुष्ठ के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना की कार्यान्वयन बैठक’ के समापन समारोह में चर्चा कर रहे थे। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत वाराणसी में 23 से 25 फरवरी तक विभिन्न कार्यक्रम, गतिविधियाँ और क्षेत्रीय भ्रमण का आयोजन किया गया। डॉ अतुल ने कहा कि कुष्ठ रोग के साथ-साथ नेगलेकटेड ट्रोपिकल डिजीज (एनटीडी) जैसे टीबी, फाइलेरिया, कालाजार को भी सरकार की ओर से निर्धारित किए गए उन्मूलन लक्ष्य को प्राप्त करना है। उन्होंने समस्त जिला कुष्ठ रोग अधिकारी, एनएमए और एनएमएस के कहा कि त्वचा संबंधी विभिन्न बीमारियों के अलग-अलग लक्षण होते हैं। यह कुष्ठ न होकर फाइलेरिया, कालाजार या अन्य रोग हो सकता है। जब तक जांच से सही पहचान न की जाए तब तक उस बीमारी को ठीक नहीं किया जा सकता। डॉ अतुल ने समस्त अधिकारियों और स्वास्थ्यकर्मियों को कुष्ठ उन्मूलन की दिशा में बेहतर कार्य और नवाचार प्रयास करने के लिए प्रेरित किया।
अपर महानिदेशक (स्वास्थ्य) डॉ अनिल कुमार ने कहा कि पिछले पाँच से छह सालों में विश्व स्तर पर भारत में कुष्ठ रोग के आंकड़ों में लगातार सुधार हो रहा है। दिव्यांग्ता में लगातार कमी आ रही है। वर्ष 2027 तक देश को कुष्ठ मुक्त बनाने के साथ भारत अन्य देशों के लिए रोल मॉडल साबित होगा। इसके लिए महानिदेशक (स्वास्थ्य) के नेतृत्व में लगातार रणनीति बनाई जा रही है। डब्ल्यूएचओ इंडिया के डॉ ट्रेन मिन्ह ने कहा कि सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने और कमियों को पूरा करने को लेकर केंद्रीय व राज्य स्तरीय के साथ सामूहिक प्रयास होना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही कुष्ठ से भेदभाव और मिथक को दूर करने के लिए वृहद स्तर पर रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
बैठक में नेशनल स्ट्रेटिजिक प्लान एंड रोडमैप फॉर लेप्रोसी (2023-27) के बारे में विस्तृत चर्चा हुई। बताया कि इस रणनीति का विजन ‘संक्रमण और बीमारी के शून्य संचरण, दिव्यांग्ता, कलंक और भेदभाव के साथ देश को वर्ष 2027 तक कुष्ठ मुक्त बनाना’ है। इसका लक्ष्य भारत में कुष्ठ रोग के प्रसार में उत्पन्न बाधाओं को दूर करने की दिशा में तेजी लाना है। इसके साथ रणनीति का उद्देश्य नेतृत्व, प्रतिबद्धता और साझेदारी को मजबूत करें, सक्रिय रोगियों को खोजने में तेजी लाना, गुणवत्तापूर्ण सेवाओं का समाधान करना, रोग की रोकथाम के लिए उपाय, दिव्यांग्ता, कलंक, भेदभाव और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देते हुये निकुष्ठ 2.0 की पहुँच बढ़ाना है। इसके अलावा कार्यक्रम के तहत 23 व 24 फरवरी को जनपद के शिवपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित चिरईगांव पीएचसी, बड़ागांव पीएचसी और चोलापुर सीएचसी का भ्रमण किया। इस दौरान वहाँ प्रदान की जा रही कुष्ठ संबंधी चिकित्सीय व स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी ली।
इस दौरान जिला कुष्ठ रोग अधिकारी (डीएलओ) डॉ राहुल सिंह ने वाराणसी जनपद में कुष्ठ उन्मूलन के तहत उपलब्धियों और प्रयासों के बारे में प्रस्तुतीकरण दिया। इसके लिए डीजी डॉ अतुल गोयल ने उनके कार्यों की सराहना की। कार्यक्रम के अंत में राज्य कुष्ठ रोग अधिकारी जया दहलवी ने वाराणसी सहित सभी जिलों के कुष्ठ रोग अधिकारी, एनएमए और एनएमएस को कुष्ठ उन्मूलन की दिशा में प्रत्येक स्तर पर प्रयास करने के लिए प्रेरित किया। इस दौरान उप निदेशक (लेप्रोसी) डॉ सुदर्शन मण्डल, निदेशक राष्ट्रीय कार्यक्रम (यूपी) डॉ पंकज कुमार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी, डीएलओ डॉ राहुल सिंह, एनसीडीसी सीएमओ डॉ एके यादव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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