हमने कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया, किसान अब अपने घरों को लौट जाएं : PM मोदी

नई दिल्ली, 19 नवंबर | आज PM मोदी राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं. उनका संबोधन आज काफी अहम माना जा रहा है. दरअसल, पीएम मोदी आज से तीन दिन के उत्तर प्रदेश दौरे पर हैं. खबरों के अनुसार PM मोदी 19 नवंबर को बुंदेलखंड के महोबा और झांसी का दौरा करेंगे. वहीं झांसी में वे ‘राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व’ में हिस्सा लेंगे और इस दौरान पीएम कई आधुनिक हथियार सेना को सौंपेंगे. इसी के साथ महोबा से पीएम मोदी ‘हर घर नल जल योजना’ की शुरुआत करेंगे. वहीं आज यानि 19 नवंबर की शाम PM मोदी लखनऊ आएंगे और यहां वे 20-21 नवंबर को पुलिस मुख्यालय में होने वाली डीजीपी कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेंगे.

हालाँकि उससे पहले वह राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं. अपने संबोधन में सबसे पहले पीएम मोदी ने रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर श्रद्धांजलि दी. उन्होंने एक ट्वीट किया और लिखा- ‘मैं रानी लक्ष्मी बाई को उनकी जयंती पर नमन करता हूं. वे भारत के इतिहास में अहम स्थान रखती हैं. उनकी बहादुरी को पीढ़ियों द्वारा कभी नहीं भुलाया जा सकता. मैं आज झांसी के अपने दौरे पर भारत के रक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने संबंधी कार्यक्रमों में हिस्सा लूंगा.’

वहीं उन्होंने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी. इसी के साथ उन्होंने कहा, ‘आज गुरु नानक देव जी का पवित्र प्रकाश पर्व है. मैं विश्वभर में सभी लोगों को और सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई देता हूं.’

आगे उन्होंने कहा, ‘ये भी बहुत सुखद है, कि डेढ़ साल के अंतराल के बाद करतारपुर साबिह कॉरिडोर अब फिर से खुल गया है. इसके अलावा पीएम मोदी ने किसानों का भी जिक्र किया. पीएम ने कहा, मैंने पिछले कई दशकों तक किसानों की परेशानियों को बहुत करीब से देखा, महसूस किया. जब से मुझे मौका मिला, हमारी सरकार उनकी बेहतरी के लिए काम करने में जुट गई.’
आगे उन्होंने कहा- ‘कृषि में सुधार के लिए तीन कानून लाए गए थे ताकि छोटे किसानों को और ताकत मिले. सालों से ये मांग देश के किसान और विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री मांग कर रहे थे. जब ये कानून लाए गए, तो संसद में चर्चा हुई. देश के किसानों, संगठनों ने इसका स्वागत किया, समर्थन किया. मैं सभी का बहुत बहुत आभारी हूं.
साथियों हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए देश के कृषि जगत के हित में, गांव, गरीब के हित में पूर्ण समर्थन भाव से, नेक नियत से ये कानून लेकर आई थी. लेकिन इतनी पवित्र बात पूर्ण रूप से किसानों के हित की बात हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए. भले ही किसानों का एक वर्ग इसका विरोध कर रहा था. हमने बातचीत का प्रयास किया. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया. हमने कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया. आप अपने अपने घर लौटे, खेत में लौटें, परिवार के बीच लौटें, एक नई शुरुआत करते हैं.’

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