सीएचसी पर ईसीजी व थ्रोंबोलिसिस की सुविधा देने वाला पहला जिला वाराणसी

जनपदवासियों को हार्ट अटैक से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार – सीएमओ

प्रदेश का पहला जनपद बना वाराणसी, पायलट प्रोजेक्ट के तहत होंगी सभी प्रक्रिया

नियमित दिनचर्या, व्यायाम के साथ स्वस्थ संतुलित आहार पर भी देना होगा ज़ोर

वाराणसी: वर्तमान परिवेश में हमारे जीवन की दिनचर्या इतनी व्यस्त हो चुकी है कि हम अपने स्वास्थ्य को बेहतर करने में इसके प्रति लापरवाह होते जा रहे हैं। लिहाजा प्रातः काल उठकर टहलना और व्यायाम करना भी भूलते जा रहे हैं जिससे हार्ट अटैक, उच्च रक्तचाप, मधुमेह को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसी के मद्देनजर प्रदेश का पहला जनपद वाराणसी योजनाबद्ध तरीके से हार्ट अटैक से होने वाली मौतों से निपटने की तैयारी कर रहा है। राष्ट्रीय कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, आघात रोकथाम व नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) के तहत हार्ट अटैक आने या मरीज में हृदय की समस्या दिखाई देने पर उसे जिला अस्पताल व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ही ईसीजी व थ्रोंबोलिसिस की सुविधा प्रदान की जाएगी जिससे समुदाय को इन गंभीर बीमारियों से छुटकारा दिलाया जा सके ।
उक्त बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने स्टेमी केयर इंडिया प्रोजेक्ट के तहत थ्रोंबोलिसिस सुविधा के ऊपर जिला अस्पताल, ग्रामीण व शहरी सीएचसी के चिकित्साधिकारियों के साथ गुरुवार को हुई वर्चुअल बैठक में कहीं। बैठक में सीएमओ ने कहा कि यह पहल देश के विभिन्न राज्यों के 19 जनपदों में शुरू की जा रही है जिसमें उत्तर प्रदेश से वाराणसी को पायलट के तौर पर पहला जनपद चुना गया है। यह प्रोजेक्ट तीन फेज में क्रमशः जिला अस्पताल, ग्रामीण सीएचसी और नगरीय सीएचसी पर चलेगा । इन सभी चिकित्सा इकाइयों पर ईसीजी की सुविधा के साथ थ्रोंबोलिसिस सुविधा भी उपलब्ध रहेगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए स्पोक एंड हब सिस्टम पर कार्य किया जाएगा । चिकित्सा इकाइयों की जियो टैगिंग होगी जिससे पता कर सकें कि कहाँ सुविधा उपलब्ध है। ग्रामीण क्षेत्र में विशेषज्ञ टेली कंसल्टेंसी के माध्यम से सम्पूर्ण उपचार व परामर्श प्रदान किया जाएगा।
सीएमओ ने कहा कि इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य जनमानस को हृदय रोग से अवगत कराना एवं बदलती जीवनशैली के लिए व्यवहार परिवर्तन पर ज़ोर देना है। उन्होंने बताया कि देश में 27 प्रतिशत मृत्यु हृदय रोग से हो रही हैं जिसमें प्रमुख कारण मधुमेह, उच्च रक्तचाप, वसा का बढ़ना है। लगभग 300 लोगो में सीने में दर्द होने पर एक व्यक्ति की मृत्यु ट्रांसपोर्ट के दौरान हो जाती है। वहीं करीब 53 प्रतिशत ही हॉस्पिटल पहुँच पाते है। इसी को ध्यान में रखते हुये जिला अस्पताल व सीएचसी पर ईसीजी और थ्रोंबोलिसिस सुविधा शुरू की जा रही है। इसके लिए सभी चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
इसके साथ ही सीएमओ ने हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप के कारण एवं बचाव के साथ सीने के बीच में दर्द होने पर समय से ईसीजी करने की जानकारी दी । उन्होंने कहा कि सभी चिकित्साधिकारियों का नैतिक कर्तव्य है कि जनमानस को हृदय रोग से बचाने की सुविधा और उचित जानकारी दें। इस वर्चुअल बैठक में समस्त डिप्टी सीएमओ, एसीएमओ, नोडल अधिकारी एवं अन्य अधिकारी जुड़े रहे।
क्या है थ्रोंबोलिसिस – थ्रोंबोलिसिस उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें एक एंजाइम के जरिये रक्त में मौजूद थक्के को गला दिया जाता है। रक्त पतला होने से वह आसानी से धमनियों में संरचण कर पाता है। मरीज का ईसीजी और ईको जैसे टेस्ट कर रिपोर्ट टेली कंसल्टेंसी के माध्यम से हृदयरोग विशेषज्ञ के पास भेजी जाएगी। गंभीर मरीजों को उच्चीकृत चिकित्सालयों में रेफर किया जाएगा।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान –
• नियमित दिनचर्या
• स्वास्थ्य परक आहार
• सुबह जल्दी उठना
• योगा व व्यायाम

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