वाराणसी। अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव दंडी स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने शनिवार को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में विवादित स्थल पर स्थित माता श्रृंगार गौरी का दर्शन-पूजन किया। उन्होंने नवाह पारायण रामचरित मानस पाठ के साथ पूजा-अर्चना की।
उन्होंने कहा कि जब से औरंगजेब ने विश्वनाथ मंदिर को तोड़ा, तब से काशी के कथा व्यास व साधु-संत बाबा विश्वनाथ को रामकथा सुनाते हैं। एक कथा कार्तिक व एक कथा माघ मास में होती है। माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी से प्रारंभ होकर पूर्णिमा को समाप्त होती है। इसका उद्घाटन व समापन सर्वप्रथम मां श्रृंगार गौरी, प्रतीक्षारत नंदी व अंत में बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन से होता है। यह परंपरा वर्षों से चल रही है। 65 वर्षों का रिकार्ड सरकार के पास है। वैसे यह परंपरा औरंगजेब के समय से चली आ रही है।
उन्होंने कहा कि श्रृंगार गौरी के पूजन में कोई रोकटोक नहीं हो सकती। यह 65 वर्षों से परंपरा है। परंपरा को तोड़ नहीं सकते। जिन लोगों ने कोर्ट में मुकदमा किया है, उन्होंने भी यह माना है कि 1993 तक पूजन होता था। उसके बाद परंपरा टूटी है। सार्वजनिक पूजन की परंपरा प्रारंभ हो, बात बस इतनी सी है।