मार्च तक तीन चरणों में चलेगा अभियान, शत-प्रतिशत टीकाकरण पर होगा ज़ोर
सीएमओ ने की अपील – अभियान का लाभ उठाएँ और बच्चे को समय से टीका लगवाएँ
वाराणसी | मीजिल्स-रूबेला (एमआर) यानि खसरा-रूबेला को वर्ष 2023 तक उन्मूलन एवं नियमित टीकाकरण सुदृढ़ीकरण के लिए स्वास्थ्य विभाग ने रोडमैप तैयार कर लिया गया है । खसरा-रूबेला सहित अन्य टीके से जनपद के शत-प्रतिशत बच्चों को आच्छादित करने के लिए सोमवार से विशेष टीकाकरण पखवाड़ा शुरू किया गया है । पखवाड़े का पहला चरण नौ जनवरी से शुरू होकर 20 जनवरी तक चलेगा । इस अभियान में शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को समस्त टीके लगाए जाएंगे ।
` उक्त जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने सोमवार को दुर्गाकुंड स्थित सीएमओ कार्यालय में आयोजित हुई मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला में दी । सीएमओ ने कहा कि बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए नियमित टीकाकरण आवश्यक है। बीमारियों व संक्रमण का असर तेजी से बच्चों के शरीर पर होता है और उनके अंगों को प्रभावित करता है। खसरा-रुलेबा, बीसीजी, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, डीटीपी, रोटा वायरस, इन्फ्लूएंजा व निमोनिया जैसी गंभीर बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए निरंतर अभियान जा रहा है। उन्होंने बताया कि खसरा एक जानलेवा रोग है, जो कि वायरस से फैलता है। बच्चों में खसरे के कारण विकलांगता तथा असमय मृत्यु हो सकती है। इसी प्रकार रूबेला भी एक संक्रामक रोग है जो वायरस से फैलता है। इसके लक्षण खसरा रोग जैसे ही होते हैं। ऐसे में खसरा एवं रूबेला का टीका लगवाना बहुत जरूरी है।
सीएमओ ने बताया कि अभियान के सफलतापूर्वक संचालन के लिए विभाग ने समस्त तैयारियां पूरी कर ली हैं । सभी पीएचसी, सीएचसी व टीकाकरण केन्द्रों पर पर्याप्त मात्रा में एमआर व अन्य डोज़ पहुंचा दी गईं हैं । ग्रामीण व शहरी क्षेत्र की सभी आशाओं और एएनएम को प्रशिक्षित किया जा चुका है। उन्होने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं की ओर से करीब चार लाख बच्चों का हेड काउंट सर्वे का कार्य पूरा किया जा चुका है जिसमें एमआर-1 के 6175 और एमआर-2 के 6741 बच्चों को चिन्हित किया गया है जिन्हें एमआर का टीका लगाया जाएगा । साथ ही पेंटा-1 के 5928, पेंटा-2 के 5698 और पेंटा-3 के 5597 छूटे हुये बच्चों को पेंटावेलेंट का टीका लगाया जाएगा । सीएमओ ने जनपदवासियों से अपील की है कि इस अभियान का लाभ उठाकर अपने बच्चों को खसरा-रूबेला सहित अन्य बीमारियों से बचाएं। टीका पूर्ण रूप से सुरक्षित है। टीका लगने के बाद यदि बच्चों की किसी भी प्रकार की समस्या हो तो उसे तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाकर चिकित्सक की सलाह पर उपचार कराएं।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ निकुंज कुमार वर्मा ने कहा कि यह अभियान तीन चरणों में चलेगा । पहला चरण 9 से 20 जनवरी, दूसरा चरण 13 से 24 फरवरी एवं तीसरा चरण 13 से 24 मार्च तक चलाया जायेगा | टीकाकरण के कार्य को सफल बनाने के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की करीब 2554 आशा कार्यकर्ता बच्चों के टीकाकरण और सत्र स्थल पर लाने के लिए अभिभावकों को प्रेरित करेंगी । ग्रामीण क्षेत्र में 571 व शहरी क्षेत्र में 338 सत्र स्थल निर्धारित किए गए हैं । उन्होने बताया कि जनपद के समस्त शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 0 से 5 वर्ष के सभी बच्चों को सूचीबद्ध कर स्वास्थ्य केन्द्रों पर उनकी टीकाकरण की स्थिति का आंकलन करते खसरा-रूबेला और पेंटावेलेंट से हुये छूटे हुए बच्चों को चिह्नित कर लिया गया है | ई-कवच पोर्टल से जनरेटेड ड्यू लिस्ट की सूची के अनुसार लाभार्थियों को एएनएम व आशा कार्यकर्ता सत्रों पर टीकाकरण करेंगी । साथ ही बच्चों को छूटे हुये टीकों से आच्छादित करते हुये टीकों की सूचना ई कवच पोर्टल पर अपलोड की जाएगी | इस अभियान के सफलतापूर्वक संचालन के लिए आईसीडीएस विभाग, शिक्षा विभाग, यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ, एनडीआरएफ़, धर्मगुरुओं, प्रभावशाली व्यक्तियों एवं जनप्रतिनिधियों से भी सहयोग लिया जाएगा ।
उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ यतीश भुवन पाठक व वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ एके पाण्डेय ने बताया कि दूर-दराज वाले क्षेत्र, हाई रिस्क एरिया, कम कवरेज वाले क्षेत्र, प्रवासीय परिवार, मलिन बस्तियों के लाभार्थी जो नियमित टीकाकरण के निर्धारित सत्र पर टीकाकरण कराने नही आते हैं, उनको विशेष टीकाकरण अभियान के माइक्रोप्लान में शामिल कर लक्षित लाभार्थियों का टीकाकरण सुनिश्चित किया जाएगा। ऐसे ग्राम / सत्र स्थल / उपकेन्द्र, जहाँ हेड काउंट सर्वे के उपरान्त टीकाकरण से छूटे बच्चों की संख्या अधिक है, वहां पर अतिरिक्त सत्र आयोजित किये जा सकते हैं।
इस मौके पर उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी, यूनिसेफ, यूएनडीपी और डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि सहित मीडिया बंधु मौजूद रहे ।
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नियमित टीकाकरण तालिका –
- जन्म के समय बीoसीoजीo, ओ०पी०बी०, हेपेटाइटिस बी
छह सप्ताह पर ओ०पी०बी०1, पेन्टावेलेन्ट 1, एफ-आई०पी०वी० 1, रोटा 1 व पीसीवी 1 - 10 सप्ताह पर – ओ०पी०वी०-2, पेन्टावेलेन्ट-2 एवं रोटा-2
- 14 सप्ताह पर – ओ०पी०वी०-3, पेन्टावेलेन्ट-3, एफ-आई०पी०वी०-2, रोटा-3 एवं पी०सी०वी०-2
- 9 माह से 12 माह तक – एम०आर०-1, पी०सी०वी० बूस्टर एवं विटामिन ए की पहली खुराक, एफ़आईपीवी-3
- 16 से 24 माह – एम०आर०2, डी०पी०टी०- बूस्टर प्रथम, बी०ओ०पी०वी०- बूस्टर, एवं विटामिन ए -2
- 5 से 6 वर्ष में डी०पी०टी०-बूस्टर द्वितीय
- 10 वर्ष पर टीडी
- 16 वर्ष पर टीडी