शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी देवी के दर्शन का विधान है. आज के दिन श्रद्धालु पूरी श्रद्धा और विधि विधान के साथ माता ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करते हैं. शायद ही आप ये जानते होंगे कि नवदुर्गा के नौ रूप औषधियों के रूप में भी कार्य करते हैं. इसीलिए यह नवरात्रि सेहत नवरात्रि के रूप में भी जानी जाती है.
नवरात्र के दूसरे दिन में मां के ब्रह्मचारिणी एवं तपश्चारिणी रूप को पूजा जाता है. जो साधक मां के इस रूप की पूजा करते हैं उन्हें तप, त्याग, वैराग्य, संयम और सदाचार की प्राप्ति होती है और जीवन में वे जिस बात का संकल्प कर लेते हैं उसे पूरा करके ही रहते हैं. देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ज्योर्तिमय है. ये मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से दूसरी शक्ति हैं.
तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा इनके अन्य नाम हैं. इनकी पूजा करने से सभी काम पूरे होते हैं, रुकावटें दूर हो जाती हैं और विजय की प्राप्ति होती है. इसके अलावा हर तरह की परेशानियां भी खत्म होती हैं. देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है.
ब्रह्मचारिणी की कथा
मान्यता है कि पूर्व जन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और, नारद जी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है. एक हजार वर्ष तक उन्होंने केवल फल फूल खाकर अपना जीवन बिताया और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक का निर्वाह किया. कुछ दिनों तक कठिन उपवास रख और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट को सहा.
तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्वपत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रही. इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्वपत्र खाना भी छोड़ दिया. कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्या करती रही पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा पड़ा.
कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया.
देवता ऋषि ,मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया और कहा कि हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं कि यह तुम ही से ही संभव थी. तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौली शिवजी तुम्हें पति के रूप में प्राप्त होंगे. अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ जल्दी तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं. मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है. दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी के इसी रूप की उपासना की जाती है.
पूजा विधि
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करते हुए पूजा करने से नीचे दिए मंत्र का जप करने से मन वांछित फल भक्तों को प्राप्त होता है.
मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।