वाराणसी। नवरात्र में नव दुर्गा के दर्शन के क्रम में नवमी के दिन सिद्धदात्री देवी के दर्शन की मान्यता है। वाराणसी में इनका अति प्राचीन मंदिर मैदागिन गोलघर इलाके के सिद्धमाता गाली में स्तिथ है। माँ दुर्गा की नौवी शक्ति का नाम सिद्धदात्री है। ये सभी प्रकार के सिद्धियों को देने वाली देवी हैं।
देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने सिद्धदात्री की कृपा से ही आठ सिद्धियों को प्राप्त किया था और इन्ही की अनुकम्पा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। जो अर्धनारीश्वर के नाम से जाना जाता है। देवी माँ के इस स्वरुप के दर्शन के लिए नवरात्र में सभी दिन खासकर नवमी के पर्व पर खास भीड़ होती है और आज नवमी के दिन श्रद्धालु तड़के सुबह से लेकर देर रात तक माँ सिद्धिदात्री माँ के दर्शन करते हैं। नवमी के आज खास दिन मां के दर्शन के लिए भक्त न केवल वाराणसी बल्कि दूर-दराज से भी दर्शन के लिए आते हैं और घंटों इंतजार के बाद भक्तों को मां का दर्शन मिल पाता है।
मान्यता है कि नवरात्र में जो भक्त देवी दरबार में दर्शन नहीं कर पाते हैं, वे अंतिम नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री के दर्शन कर ले तो उनको पूर्ण फल की प्राप्ति हो जाती है। बताया जाता है कि वाराणसी के मैदागिन गोलघर इलाके में स्थित सिद्धमाता मंदिर का उल्लेख सिर्फ काशी खंड में मिलता है और अन्य जगहों पर इसलिए नहीं मिलता क्योंकि यह मंदिर अति प्राचिन है। इनके दर्शन मात्र से परेशान लोगों की परेशानी की खात्मा और मनोकामना की पूर्ति हो जाती है और यह सभी तरह की सिद्धियो को भी देने वाली हैं।