किसानों की पूजी व मेहनत को बारिश ने मिट्टी में मिलाया

रिपोर्ट – गौतम मिश्रा

मिर्ज़ामुराद। क्षेत्र भर में शुक्रवार की शाम को और शनिवार की सुबह में तेज हवाओं के साथ मूसलाधार बारिश ने दस्तक दिया। बारिश होते ही किसानों के प्राण हलक में अटक गए। किसानों के माथे पर गहरी चिंता की लकीरें स्पष्ट दिखाई देने लगी। मौसम के समय-समय पर बदलते मिजाज से किसान और भी ज्यादा परेशान है तेज हवाओं व बारिश से फसलों को भारी नुकसान की पूरी संभावनाएं हैं,किसान की खून पसीना से पैदा की गई फसल जिसे किसान घर में उठाकर लाने के लिए बेहद आशान्वित थे,लेकिन मौसम के बदलते मिजाज से किसानों के दिल की धड़कन बढ़ गई है। किसान शोभनाथ पटेल व सुक्खु राजभर बताते हैं कि बेमौसम वर्षा और उसके साथ चली तेज हवाओं ने खड़ी गेहूं की फसल जो कटने के कगार पर थी,उसे पृथ्वी पर मिला दिया है फसल देखने से तो ऐसा प्रतीत होता है कि मानो हमारी फसलों पर कुदरत ने नजर लगा दिया हो, गेहूं के दानो में सड़न पैदा होने लगी है जिससे हम किसानों का खून पसीना और कर्ज पर लिया गया पैसा जो लगाया है उसकी भी कीमत वसूल नहीं हो पाएगी मुनाफे की तो बात कही नहीं जा सकती। सप्ताह भर पूर्व क्षेत्रभर में हुए ओलावृष्टि व बारिश से पहले ही फसल काफी हद तक नष्ट हो चुके थे, बीते दिन के बारिश में और भी फसल को मिट्टी में मिला दिया है। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि जो हम किसानों का खड़ी फसल में नुकसान हो रहा है उसकी जांच पड़ताल करवा कर किसानों को शासकीय राहत देकर मदद की जाए। बेमौसम की बारिश से खेतों में खड़ी फसल लगभग पूरी खराब हो गई है,गेहूं का दाना भी काला पड़ गया है । इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को खेती करने के लिए बड़े संकटों का सामना करना पड़ता है।

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