अपने संसदीय इलाके में जान फूंककर बूढ़े शहर बनारस को जवां कर दिये हैं
(रिपोर्ट – विक्की मध्यानी )
वाराणसी। सर्वविद्या की राजधानी कह लीजिए धर्म नगरी कह लीजिये या जिंदादिल शहर कह लीजिये। सदैव गुलज़ार रहने वाली बाबा विश्वनाथ की नगरी बनारस बदल रही है। यहाँ के सांसद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में बनारस में रस भरा जा रहा है। यह नगरी नये लुक में ढलता जा रहा है। देखा जाय तो पीएम नरेंद्र मोदी ने बनारस के कायाकल्प की जो योजना बनाई है वह धीरे-धीरे धरातल पर दिखाई देने लगी है। अगर कोई पांच साल पहले के बनारस और अबके बनारस से मिलान करेगा तो फर्क साफ नजर आयेगा। सब कुछ नया और बदला बदला दिखता जायेगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में अपने संसदीय क्षेत्र बनारस का रूपरंग नहीं बल्कि फ़िजा ही बदल के रख दी है।
अगर शहरी इलाके में जाम के झाम में रेंगती गाड़ियों को और सीवेज सिस्टम को दुरुस्त कर दिया जाय तो बनारस की अलहदापन और खूबसूरती में औऱ निखार आ जायेगा।
वैसे अब जो काशी को निहारता है तो वह शिद्दत से महसूस करता है कि अबकी काशी थकी-थकी अलसाई नहीं, बल्कि जोश ऊर्जा स्फूर्ति से लबरेज दिखाई देती है। इस बदलाव को बनारस के लोग नहीं पूरी दुनियां के लोगों में चर्चा है।
बदले हुए बनारस को अलौकिक रूप देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र में 13 दिसंबर को आ रहे हैं। 13 दिसंबर की सुबह विश्वनाथ धाम में यजमान बनकर वे विशेष अनुष्ठान में शामिल होंगे। ठीक उसी तरह जैसे अयोध्या में मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू होते समय शामिल हुए थे। गंगाजल के साथ ही देश की सभी प्रमुख नदियों के जल से काशी पूराधिपति का अभिषेक करने के बाद विधिवत पूजा-अर्चना करेंगे। इसके बाद मंदिर चौक में संतो से मंदिर के इतिहास और वर्तमान स्वरूप पर चर्चा करने के उपरांत मंदिर के लोकार्पण समारोह को संबोधित करेंगे। न भूतो न भविष्यति की तर्ज पर बाबा विश्वनाथ धाम का लोकार्पण देश के नए युग का सूत्रपात करेंगा, इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता। बताया जा रहा है कि त्रिशूल पर बसी शिव की नगरी काशी में यह पहला मौका होगा जब पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण के संतों का महामिलन भी होगा।
बताते चले कि कुंभ में भी धर्म की सभी धाराएं एकत्र नहीं होती है लेकिन बाबा के धाम के लोकार्पण समारोह में सनातन धर्म के सभी संप्रदाय, परंपरा और मार्ग के अनुयाई मौजूद रहेंगे। मतलब साफ है कि काशी विश्वनाथ धाम के साथ पूरी हो रही है 1200 करोड़ की 11 परियोजनाओं को पूरी करने का संदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न केवल संपूर्ण देश को बल्कि विश्व को भी देंगे। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण से पहले ही काफी नए स्वरूप में नजर आने लगा है मैदागिन से गौदोलिया तक सड़क के किनारे के भवन एक रंग में रंगे जा चुके हैं। शहर में रंगीन रोशनी की सजावट दीपावली और देव दीपावली की भव्यता का एहसास अभी से कराने लगी है। राम चंद्र भूमि की तरह ही श्री काशी विद्वत परिषद के निर्देशन में सारे अनुष्ठान पूर्ण होंगे। उनके अनुसार लोकार्पण समारोह का प्रसारण देशभर के समस्त देवालय,तीर्थों व सार्वजनिक स्थलों पर किया जाएगा। इस बीच 1 दिसंबर से 10 दिसंबर तक भव्य काशी दिव्य काशी की तरंग में पूरा नगर सराबोर रहेगा तथा तमाम तरह के आयोजन चलते रहेंगे। इतना ही नहीं अब श्रद्धालु काशी पुराधिपति के दर्शन के बाद अलौकिक देव विग्रहों की परिक्रमा तथा इतिहास भी जान सकेंगे।
धाम में शामिल मंदिर मणिमाला का इतिहास देश और दुनिया के भक्तों तक पहुंचाने के लिए विशेष इंतजाम किया गया है। उनके स्थापना से लेकर अध्यात्मिक महात्म्य को सहेजते हुए एक खास ” एप्लीकेशन” की मदद से इन मंदिरों का महत्व भक्तो तक पहुंचाने की तैयारी है। इसके माध्यम से कॉरिडोर में बने मंदिरों के नजदीक आते ही उस मंदिर का इतिहास ऑडियो वॉइस के जरिए लोगों को सुनाई देगा, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। बताते चले कि धाम परिसर में निर्माण के दौरान 139 विग्रह, 39 काशी खण्डोक्त विग्रह और 27 प्राचीन देवालय मिले हैं। लोगों का मानना है कि देव दीपावली पर 1000 करोड़ का कारोबार करने वाले बनारस के पर्यटन क्षेत्र को एक और बूम काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण समारोह से मिलने वाला है। कई ट्रैवल एजेंटों ने बातचीत के दौरान बताया कि लोकार्पण समारोह पर्यटन उद्योग की असीम संभावनाओं को हकीकत में तब्दील करेगा जिससे सबका साथ, सबका विकास की भावना बलवती होगी।
ऐसे में अगर मै यह कहूँ की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र बनारस की आभा को विश्व पटल पर आलोकित करने का काम किया है तो कतई गलत नहीं होगा। दुनिया में मशहूर बनारस की सुबह को जीवन में एक बार हर कोई देखना जरूर चाहेगा ऐसा मुझे विश्वास है। लेकिन उससे पहले अभी बनारस की गलियों तथा बदहाल ट्रैफिक के साथ ही पान की पीक पर भी काफी सोचना और समझना होगा और बनारसीयों यहां पान की पिक से दीवारों को लाल करने से बचना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल का करीब करीब आधा समय पूरा कर लिया है अब शेष बचे आधे समय में उनका फोकस रोजगार पैदा करने पर होना चाहिए यही समय की आवश्यकता है।
पिछले दिनों आयी एक रिपोर्ट व्हाट वरीज द वर्ल्ड में बताया गया है कि देश की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी हैं वैसे इस बेरोजगारी में आबादी का भी बड़ा योगदान है। इसलिए शेष बचे समय में प्रधानमंत्री मोदी को आबादी और बेरोजगारी पर अपना सारा फोकस करना चाहिए यही शायद समय की भी मांग है और यही मांग शायद युवाओं की भी है।
अगर युवाओं को रोजी रोजगार देने की दिशा में नरेंद्र मोदी ठोस कदम उठाते हैं तो निश्चित है कि युवावर्ग यहां वहां एक अदद नौकरी के लिये नहीं भटकेगा। और मोदी सरकार के प्रति उनका विश्वास और पुख्ता हो जायेगा।