वाराणसी। कार्तिक महीने की पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। इस दिन पुण्य की प्राप्ति के लिए लोग गंगा में डुबकी लगाते है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा नदी में स्नान करने से सभी पाप कष्ट मुक्त हो जाते हैं और साथ ही श्रद्धालुओं के परिवार में सुख शांति समृद्धि की उपलब्धि होती है। वहीं दुनिया की धार्मिक व सांस्कृतिक राजधानी काशी में कार्तिक पूर्णिमा के पावनपर्व पर गंगा घाटों पर स्नान-ध्यान करने के लिए आस्थावानों का जन सैलाब उमड़ पड़ा। दशाश्वमेध घाट से लेकर अस्सी घाट तक हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में आस्था की डूबकी लगाई।
वहीं राजघाट पर स्नान करने आए श्रद्धालु सतीश चन्द्र मिश्रा ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि कार्तिक महीने में पूरे एक महीने स्नान चतता है, तेकिन कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान करने से पूरे कार्तिक महीने में स्नान का फल एक ही दिन के स्नान से प्राप्त होता है। इसलिए हर कोई मां गंगा में डुबकी लगा कर पुण्य की प्राप्ति करना चाहता है। उन्होंने बताया कि यह प्राचीन काल से यह परंपरा चली आ पही है।
वहीं वाराणसी एयरपोर्ट के समीप गंगा स्नान करने पहुंचे दूसरे श्रद्धालु रंजीत कुमार ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन मां गंगा में स्नान करने से सभी पाप कष्ट मुक्त हो जाते हैं। शास्त्रों में भी उल्लेख है कि आज के दिन गंगा में स्नान करने से पापों से मुक्ति प्राप्त होती है और परिवार में सुख शांति समृद्धि आती है।
दरअसल, हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. पूरे कार्तिक महीने में पूजा, अनुष्ठान और दीपदान का विशेष महत्व होता है। इस कार्तिक माह में ही देवी लक्ष्मी की जन्म हुआ था और इसी महीने में भी भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागे थे। कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र अवसर पर श्रद्धालु गंगा में पवित्र डुबकी लगाते हैं और शाम को मिट्टी के दीपक या दीया जलाते हैं। गंगा नदी के तट पर घाटों की सभी सीढ़ियां लाखों मिट्टी के दीयों से जगमगाती हैं।