उत्तर प्रदेश चुनाव: योगी के ‘आलिशान मठ’ और मायावती की ‘शाही सैंडल’ की चर्चा क्यों ?
लखनऊ, 25 जनवरी। यूपी चुनाव में जुबानी जंग, योगी आदित्यनाथ के “आलिशान मठ” से शुरू हो कर मायावती की ‘शाही सैंडल’ तक पहुंच गयी है। शनिवार को सीएम योगी अलीगढ़ गये थे। वहां उन्होंने कहा था, उनकी सरकार ने गरीबों के लिए मकान बनाये जब कि 2017 से पहले के मुख्यमंत्री और मंत्री अपने लिए महल बनाते थे। सीएम के इस बयान को मायावती ने दिल पर ले लिया।
उन्होंने नाराजगी में कहा, गोरखपुर में योगी जी का बना मठ, किसी बड़े बंगले से कम नहीं। इसके बारे में वे क्यों नहीं बताते ? मायावती के इस तंज का जवाब सीएम के निजी कार्यालय की तरफ से दिया गया। जवाब में कह गया, एक वह भी समय था जब व्यक्तिगत वैभव के लिए राजकीय संसाधनों का दुरुपयोग कर सरकारी विमान से सैंडल मंगाया जाता था। अब दो सवाल चर्चा में हैं, क्या योगी का मठ सचमुच आलिशान बंगले की तरह है ? क्या मायावती जब सीएम थीं तब उनके लिए सरकारी जहाज से सैंडल मंगायी जाती थी ?
गोरखनाथ मठ की व्यवस्था
सीएम के निजी कार्यालय ने मायावती को गोरखनाथ मंदिर आने का न्योता दिया है ताकि वे यहां की व्यवस्था को देख सकें। न्योता में कहा गया है, ‘बाबा गोरखनाथ जी की यह तपोभूमि संतों और आजादी के क्रांतिवीरों की साक्षी रही है। यह योग, संन्यास और सेवा की भूमि है। यहां देव- देवताओं के मंदिर हैं। यह सामाजिक न्याय का केन्द्र है और सबके कल्याण के लिए है। आप (बहन मायावती जी) कभी आइए। आपको शांति मिलेगी।’ गोरखनाथ मंदिर करीब 52 एकड़ में फैला हुआ है। इसके अलावा मंदिर का एक कृषि फार्म हाउस भी है जहां भंडारे के लिए फसल और गायों के लिए चारा उगाया जाता है। कोरोना से पहले तक गोरखनाथ मंदिर के भंडारे में रोज दोपहर और रात में करीब 1500-1500 लोग भोजन करते थे। गोरखनाथ मठ में रहने वाले संतों का कहना है, किसी संन्यासी या योगी का जीवन वैभव और सुख-सुविधा से बिल्कुल दूर होता है। वह सभी मोह-माया से मुक्त होता है। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अपनी जीवनशैली नहीं बदली है। वे 3 बजे सुबह में उठते हैं। फिर सुबह 4 बजे से 5 बजे तक योग, ध्यान और प्राणायाम करते हैं। फिर स्नान-ध्यान कर पूजा करते हैं। गोरखनाथ मठ में एक विशाल गोशाला है जिसमें करीब पांच सौ गाय हैं। जब मठ में होते हैं तो तब गोसेवा भी उनकी नियमित दिनचर्या है।
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योगी आदित्यनाथ और राजनीतिक मोह-माया
योगी आदित्यनाथ ने एक इंटरव्यू में बताया था, जब मैं पहली बार 1998 में सांसद बना था तब मुझे राजनीति की मौजूदा स्थिति को देख कर बहुत निराशा हुई थी। मैंने देखा कि संसद में वास्तविक मुद्दों पर चर्चा नहीं होती थी। कुछ लोग सदन में बहुत झूठ बोलते थे। मेरा संन्यासी मन यह सब देख कर बहुत दुखी रहता था। 1999 में जब अटल जी की सरकार एक वोट से गिर गयी तो मध्यावधि चुनाव की नौबत आ गयी। तब मैंने अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ जी से कहा, इस बार में चुनाव नहीं लड़ूंगा। गुरुजी ने पूछा क्यों ? तब मेंने अपने मन की पीड़ा बतायी। तब उन्होंने कहा, इसके बीच से तुम्हें रास्ता बनाना है। तुम संन्यासी हो। संन्यास का पहला धर्म सेवा है। सेवा के इस नये अवसर से तुम्हें विमुख नहीं होना है। आगे बढ़ो। योगी आदित्यनाथ का कहना है, राजनीति मेरे लिए सेवा का साधन मात्र है। मुख्यमंत्री के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है, योग साधना के अभ्यस्त होने की वजह से ही सीएम योगी करीब 20 घंटे काम करते हैं। वे सिर्फ चार घंटे ही सोते हैं। वे रोजाना हठयोग करते हैं। हठयोग करने वाले लोग चार घंटे की नींद से शरीर को आराम पहुंचाते हैं।
मायावती की शाही सैंडल !
2011 में विकिलिक्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था, मायावती मुख्यमंत्री बनने के बाद वे एक विशेष विमान भेज कर मुम्बई से अपने लिए सैंडल मंगाती थीं। रिपोर्ट के मुताबिक, आइएएस अधिकारी शशांक शेखर और बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्र के आदेश पर कुछ अफसर विमान से मुम्बई जाते थे और सीएम मायावती के लिए सैंडल लाते थे। एक सैंडल की कीमत करीब एक हजार होती थी लेकिन उसे लाने के लिए हवाई जहाज पर 10 लाख रुपये खर्च किये जाते थे। इस खुलासे के बाद मायावती बेहद नाराज हो गयीं थीं। तब उन्होंने कहा था कि विकिलिक्स के मालिक जुलियन असांजे को पागलखाने भेज दिया जाना चाहिए। सपा नेता अखिलेश यादव ने इसे मुद्दे को लपक लिया था। उन्होंने बहुत दिनों तक धरना प्रदर्शन कर सरकारी खजाने के दुरुपयोग का विरोध किया था। सपा को इसका फायदा भी मिला था। 2012 में उसे बहुमत मिला और अखिलेश यादव सीएम बने थे। खबरों के मुताबिक जब मायावती मुख्यमंत्री थीं तब उन्होंने सरकारी कार्य के लिए हवाई जहाज (जेट विमान) खरीदा था। 2012 में जब अखिलेश मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने मायावती सरकार के समय खरीदे गये हवाई जहाज को बेच कर नये एयर क्राफ्ट खरीदने का आदेश दिया था। अब 2022 के चुनाव में गड़े मुर्दे उखाड़ कर विरोधियों की जमीन खिसकाने की कोशिश की जा रही है।